## एक अंधेरी रात
एक छोटा सा गाँव था, जहाँ हर घर में दीपक की रोशनी से रातें जगमगाती थीं। लेकिन एक घर था, जहां हमेशा अंधेरा छाया रहता था। उस घर में रहती थीं, राधा, एक अकेली वृद्ध महिला।
राधा के पति का कई साल पहले देहांत हो गया था। उनका एकलौता बेटा शहर में नौकरी करता था और साल में एक बार ही आता था। बाकी समय राधा अकेले ही घर संभालती थी।
एक रात, तूफान आया। बारिश की बूंदें जोर-शोर से पड़ रही थीं। बिजली कड़क रही थी और हवा तेज रफ्तार से पेड़ों को झुका रही थी। राधा डर गई थी। उसके घर में एक छोटी सी खिड़की से तूफान की डरावनी आवाजें आ रही थीं।
अचानक, एक जोरदार आवाज हुई और बिजली चली गई। घर में अंधेरा छा गया। राधा बहुत डर गई। वह अपने आप को सांत्वना देने लगी, "डरो मत राधा, सब ठीक हो जाएगा।"
तभी उसे कुछ हलचल की आवाज सुनाई दी। वह धीरे-धीरे उठी और अपनी लाठी लेकर दरवाजे की तरफ बढ़ी। दरवाजे पर किसी के खड़े होने की आहट हो रही थी।
दिल धकधक करने लगा। उसने साहस जुटाया और धीरे से दरवाजा खोला। बाहर अंधेरा ही अंधेरा था। तभी उसे किसी के रोने की आवाज सुनाई दी। वह बाहर निकली और आवाज की तरफ बढ़ी।
वहां उसे एक छोटा बच्चा मिला, जो भीग चुका था और रो रहा था। राधा का दिल पिघल गया। वह बच्चे को उठाकर घर ले आई। उसे सुखाया, खिलाया और फिर अपने बिस्तर पर लिटा दिया।
बच्चा कुछ देर रोने के बाद सो गया। राधा उसे देखती रही। उस बच्चे की मासूमियत ने उसके दिल को भर दिया था। उस रात, पहली बार उसके घर में अंधेरा नहीं था, बल्कि एक नई उम्मीद की रोशनी जग रही थी।
सुबह हुई तो तूफान थम गया। राधा ने बच्चे को गांव के सरपंच के पास ले जाकर सौंप दिया। वह बच्चा किसी और का था, जो तूफान में बिछड़ गया था।
गांव वाले राधा की तारीफ करने लगे। लेकिन राधा को किसी तारीफ की जरूरत नहीं थी। उसे तो बस उस बच्चे की सेवा करने का सुकून मिल गया था। उस रात के बाद, उसके घर में कभी अंधेरा नहीं हुआ। उस बच्चे ने ही उसके जीवन में रोशनी ला दी थी।
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